गुजरात के सूरत शहर की एक अदालत ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की “मोदी सरनेम” वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की अर्जी खारिज कर दी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरपी मोगेरा की अदालत ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उनकी अपील लंबित रहने तक राहत के लिए दायर गांधी के आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील के लिए तीन अप्रैल को सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सत्र न्यायालय द्वारा सजा पर रोक संसद सदस्य के रूप में गांधी की बहाली का मार्ग प्रशस्त कर सकती थी।
राहुल गांधी ने अपील के लिए सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जब निचली अदालत ने उन्हें उनकी टिप्पणी, “सभी चोरों का उपनाम मोदी ही क्यों होता है?” 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान बनाया गया। उनके वकीलों ने दो आवेदन दायर किए थे, एक सजा पर रोक के लिए (या उनकी अपील के निस्तारण तक जमानत के लिए) और दूसरा उनकी अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए।
बता दें कि 52 वर्षीय राजनेता 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए चुने गए थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
– एजेंसी