बिहार के शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर ने एक बार फिर रामचरित मानस पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने बजट सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर कहा, मैं अपने पुराने बयान पर कायम हूं। रामचरित मानस में थोड़ा कचरा है, जिसे साफ करने की जरूरत है। उन्होंने रामचरित मानस की एक और चौपाई पर सवाल खड़ा किया है। इसके पहले भी डॉ चंद्रशेखर ने मनु स्मृति और रामचरित मानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था।
उन्होंने कहा, रामचरित मानस समाज में दलितों पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है। इस बयान के बाद बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। शिक्षा मंत्री के बयान का महागठबंधन में शामिल JDU ही विरोध कर रही है। शिक्षा मंत्री के ताजा बयान को जदयू ने चीप पब्लिसिटी बताया है। कहा कि उनमें दम है तो वो दूसरे धर्मों पर सवाल उठाकर दिखाएं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस ग्रंथ में कई ऐसे दोहे हैं, जिस पर वह आगे भी सवाल उठाते रहेंगे। रामचरित मानस को कूड़ा कचरा कहने पर जब रिपोर्टर ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ये मैंने नहीं कहा, यह डॉ. लोहिया ने कहा है। मैं उनकी बातों को दोहरा रहा हूं। उन्होंने कहा कि विधानसभा में किसी की हिम्मत नहीं कि मेरे बयान पर सवाल खड़ा कर सके। मैं आज भी कह रहा हूं कि रामचरित मानस में शूद्रों का अपमान किया गया था। लोहिया और आंबेडकर की नजर से मैं पढ़ता हूं। आज का शूद्र पढ़ा लिखा है। उसे बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है।