बेतिया. अखिल भारतीय गन्ना उत्पादक किसान महासंघ के महासचिव नंदकिशोर शुक्ला तथा बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव ने संयुक्त बयान जारी कर बिहार सरकार द्वारा लोहट तथा मोतीपुर की बंद पड़े चीनी मिलों में इथेनोल प्लांट लगाने के बिहार सरकार के प्रस्ताव की कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि लोहट और मोतीपुर में दशकों से चीनी मिले बन्द पड़ी है । उस इलाके के किसानों को नगदी फसल गन्ना की खेती करने से लाभ मिलता था। यही कारण था कि उस इलाके में गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। लेकिन कृषि आधारित चीनी उद्योग के प्रति बिहार सरकार की गलत नीतियों के चलते चीनी मिलें बन्द होती चली गईं । जो चीनी उद्योग अंग्रेजी काल से किसान हित में चला आ रहा था। केन्द्र और राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते बिहार के 29 चीनी मिलों में से 19 चीनी मिलें बंद हो गई, जिसमें लोहट और मोतीपुर की चीनी मिलें भी शामिल है । इसमें 16 चीनी मिलें बिहार शुगर कारपोरेशन द्वारा टेकओवर किया हुआ है , जो पूर्ण रूप से बिहार सरकार की कृषि आधारित उद्योग के नीति का दुष्परिणाम है । यह बिहार सरकार को भी पता है कि वहां के किसानों ने चीनी मिल बैठाने के लिए अपनी जमीनों को दिया था । चीनी मिलों के बंद होने से नगदी फसल गन्ने की खेती समाप्त हो गई । जबकि जरूरत इस बात की है कि वर्षों से वहां के किसानो द्वारा मांग किए जा रहे बंद पड़े चीनी मिलों को चालू कर किसानों को समृद्ध किया जाय तथा कृषि आधारित उद्योग का विस्तार किया जाय । चीनी मिल चालू हो जाने से किसान गन्ने की खेती करेंगे और उनकी आमदनी में भी वृद्धि होगी । इसलिए चीनी मिल पुनः चालू किया जाय, ताकि उसके बायोप्रोडक्ट उत्पादों से इथेनोल भी बनाया जा सके । आज जहां भी चीनी मिले हैं, वहां चीनी के अलावे जो बायो प्रोडक्ट का उत्पादन हो रहा है , उसमें प्रेसमड से खाद , मुलासेस से इथनौल और स्प्रीट , बगास से कागज और बिजली के अलावे और भी सामान उत्पादित हो रहे हैं । चीनी मिलों के पास गन्ने की बीज लगाने के लिए पर्याप्त जमीनें भी है । बिहार सरकार को इथनौल के उत्पादन के लिए चीनी मिल से अलग प्लांट लगाने का मतलब खाद्य सामग्रियों से इथनौल बनाना है । जिसके चलते बिहार में खाद्य संकट पैदा होगा ।
दोनों नेताओं ने मांग की है कि लोह़ट और मोतीपुर की चीनी मिलों सहित बिहार के बन्द पड़े सभी चीनी मिलों को चालू किया जाए और उन चीनी मिलों मैं चीनी के अलावे इथेनोल सहित और बायोप्रोडक्ट उत्पादित किया जाए, जिसके मुनाफे का 50% किसानों को दिया जाय ।