“कोविड पॉजिटिव माताओं में स्तनपान” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन
पटना. नवजात शिशु की पोषण संबंधी सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ उसके मस्तिष्क और संज्ञानात्मक क्षमता के विकास में स्तनपान की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह माताओं के लिए भी लाभकारी है और उन्हें ओवेरियन एवं स्तन कैंसर से बचाने में मदद करता है। हाल के दिनों में हुए कुछ अध्ययनों के मुताबिक स्तनपान के ज़रिए मां से बच्चे में एंटीबॉडी संचारित हो सकते हैं, जिससे बच्चे को कोविड-19 से महत्वपूर्ण सुरक्षा मिल सकती है। यूनिसेफ बिहार की राज्य प्रमुख नफीसा बिन्ते शफीक ने कहा कि एक अध्ययन से यह भी पता चलता है कि एक महिला को स्तनपान कराने के लिए निवेश किए गए प्रत्येक डॉलर के बदले में 35 डॉलर का सृजन होता हैl
यूनिसेफ बिहार के सहयोग से नेशनल नियोनेटल फोरम (एनएनएफ), बिहार चैप्टर के सदस्यों के लिए स्तनपान की प्रारंभिक शुरुआत और एक्सक्लूसिव स्तनपान प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए अध्ययन और साक्ष्य आधारित अनुभव और सीखों को साझा करने के उद्देश्य से “कोविड पॉजिटिव माताओं में स्तनपान” विषय पर एक संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता एनएनएफ, बिहार चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. (प्रो.) के.एन. मिश्रा ने की।
महाराष्ट्र सरकार और यूनिसेफ की वरिष्ठ सलाहकार एवं महाराष्ट यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेस की पूर्व वीसी, डॉ. मृदुला फड़के समेत डॉ लोकेश तिवारी, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग, एम्स पटना, डॉ. (प्रो.) ए. के. जायसवाल, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग, पीएमसीएच, डॉ. राकेश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, एनएमसीएच, पटना, डॉ. राकेश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, एनएमसीएच, पटना, डॉ ए. के. तिवारी, एसोसिएट प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, एनएमसीएच, डॉ वी.पी. राय, राज्य कार्यक्रम अधिकारी, बाल स्वास्थ्य, एसएचएस-बिहार जैसे प्रसिद्ध विशेषज्ञ बैठक में मौजूद रहे।
बीएमजे पीडियाट्रिक्स ओपन में प्रकाशित एम्स पटना के एक अध्ययन से पता चलता है कि अगर कोविड -19 संक्रमित मां अपने बच्चे को कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ स्तनपान कराती है तो बच्चे में संक्रमण की कोई संभावना नहीं होती है। डब्ल्यूएचओ, सीडीसी (रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र) और एनएनएफ नीति के अनुरूप एक्सप्रेस्ड ब्रेस्ट मिल्क (ईबीएम) के माध्यम से किसी भी संक्रमण का कोई सबूत नहीं मिला है।
अध्ययनकर्ता डॉ. लोकेश तिवारी और डॉ. अरुण प्रसाद ने बताया कि अध्ययन के लिए 50 कोविड पॉजिटिव गर्भवती माताओं को नामांकित किया था। डॉ. मृदुला फड़के ने कहा कि स्तन के दूध में कोविड वायरस के संचरण का कोई प्रमाण नहीं है। मां के दूध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ. (प्रो.) केएन मिश्रा ने कहा कि यदि जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध दिया जाए तो यह नवजात शिशु पर चमत्कारी प्रभाव पैदा करता है। डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि बच्चे को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्तनपान कराना चाहिए। डॉ. वी.पी. राय, राज्य कार्यक्रम अधिकारी, बाल स्वास्थ्य, राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी, ने सभी बाल रोग विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि वे कोविड -19 के दौरान गर्भवती, स्तनपान कराने वाली माताओं और परिवार को स्तनपान पर जरूरी सलाह दें।
यूनिसेफ बिहार की पोषण अधिकारी डॉ. शिवानी डार ने कहा कि बिहार में जन्म के एक घंटे के भीतर सिर्फ 31प्रतिशत बच्चों को मां का दूध मिल पाता है। हालांकि, एक्सक्लूसिव स्तनपान में सुधार हुआ है, फिर भी यह 60 प्रतिशत से कम है। डॉ. ए.के. तिवारी ने बताया कि प्रैक्टिकल नियोनेटोलॉजी पर एक त्रैमासिक चिकित्सा पत्रिका निकाली गई है। कार्यक्रम के दौरान यूनिसेफ बिहार के पोषण विशेषज्ञ रबी पाढ़ी और पोषण अधिकारी डॉ. संदीप घोष भी उपस्थित थे। एनएनएफ बिहार के सचिव डॉ. अनिल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।