भारत की सेना अब घनघोर युद्ध की स्थिति में लड़ाई के लिए 15 दिन तक का गोला-बारूद संग्रह कर रख सकती है. पहले ये सीमा 10 दिन की थी, लेकिन सीमा पर हालात देखते हुए, लद्दाख में चीन से तनाव के बीच भारतीय सेना ने अब युद्ध की तैयारी को बढ़ा दिया है. भारतीय सेना दो मुहाने पर युद्ध की तैयारी काफी समय से कर रही थी, लेकिन अब सेना को इस पर गंभीरता से तैयारी करने को कहा गया है और 15 दिन की सघन लड़ाई के लिए तैयार रहने को कहा गया है.
टू फ्रंट वार की तैयारी
युद्धक सामानों के ज्यादा स्टोरेज से सेना को अपना रिजर्व बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा टू फ्रंट वार की स्थिति में गोला बारूद की जरूरतों में सामंजस्य बिठाने में मदद मिलेगी, बता दें कि मौजूद हालात में देश के दोनों फ्रंट बराबर रूप से सक्रिय हो गए हैं.
पहले 10 दिन की तैयारी रखती थी सेन
टॉप सरकारी सूत्रों ने बताया कि सेना को हथियारों और गोला बारूद के संग्रह को बढ़ाकर अब 15 दिन तक कर दिया गया है. इसका मतलब ये है कि अब सेना को 15 दिन के सघन युद्ध की तैयारी की स्थिति में रहना है. पहले ये तैयारी 10 दिन की होती थी.
सेना की वित्तीय शक्ति में इजाफा
इस मंजूरी से सेना की वित्तीय शक्ति में भी बढ़ोतरी हुई है. अब सेना बजट के अंदर हर खरीद के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है. सूत्रों ने बताया कि युद्ध के साजो-सामान संग्रह करने में बढ़ोतरी की इजाजत कुछ दिन पहले मिली है.
पहले 40 दिन की होती थी युद्ध तैयारी
बता दें कि कुछ साल पहले तक सेना 40 दिन के लिए युद्ध की तैयारी रखती थी. लेकिन हथियारों और गोला-बारूद के साथ-साथ युद्ध के बदलते स्वरूप के कारण इसे 10 दिन के स्तर तक लाया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक 40 दिन तक गोला बारूद की स्टोरेज में समस्या इसकी मुख्य वजह थी. अब सुरक्षा बलों के लिए इसे बढ़ाकर 15 दिन करने की मंजूरी दे दी गई है.
उरी हमले के बाद सेना को एहसास हुई कमी
बता दें कि उरी हमले के बाद ये महसूस किया गया था कि सेना का युद्ध भंडार कम है. इसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आर्मी, नेवी और एयर फोर्स के वाइस चीफ की वित्तीय शक्ति को 100 करोड़ से बढ़ाकर 500 करोड़ कर दिया था.
इसके अलावा सरकार ने इन तीनों सेनारी कओं को 300 करोड़ रुपये की आपात खरीद करने की शक्ति दी थी. इस शक्ति का इस्तेमाल तब किया जा सकता था जब सेना के इन अंगों को लगता कि युद्ध लड़ने के लिए इन हथियारों या सामानों का होना जरूरी है. बता दें कि पाकिस्तान और चीन की ओर से किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए हथियारों, मिसाइलों और जरूरत की कई दूसरे चीजों की खरीदार रही है.