कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच बातचीत का रास्ता निकला है. सरकार की ओर से कृषि कानूनों में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं, जिनपर किसान अड़े हुए थे. सरकार की ओर से किसानों को एक लिखित प्रस्ताव भेज दिया गया है, जिसमें अपनी ओर से कुछ संशोधन जुझाए गए हैं. केंद्र की ओर से इस प्रस्ताव में APMC एक्ट और MSP पर सरकारों को लिखित भरोसा दिया गया है.
किसानों को दिए जाने वाले लिखित प्रस्ताव में सरकार मुख्य रुप से ये पांच मुद्दों को हो सकते हैं. इन मसलों पर सरकार और किसानों के बीच हुई बैठकों में चर्चा हुई है और सरकार की ओर से कुछ ढिलाई के संकेत दिए गए हैं.
1. APMC एक्ट (मंडी सिस्टम) को मजबूत करना.
2. ट्रेडर्स के साथ व्यापार को सिस्टमैटिक तरीके से लागू करना.
3. किसी तरह की दिक्कत होने पर स्थानीय कोर्ट जाने का विकल्प
4. MSP जारी रहने का प्रस्ताव.
5. पराली जलाने के खिलाफ सख्त हुए कानून में कुछ संशोधन.
प्रस्ताव पर किसान नेता करेंगे चर्चा
सरकार की ओर से प्रस्ताव मिलने से पहले किसान नेता हनन मोल्ला ने कहा कि अगर सरकार कुछ संशोधन दे रही है तो हमारी स्थिति साफ है, अगर कानून वापस होंगे तभी हम उसे मानेंगे. अगर आज के प्रस्ताव में कुछ पॉजिटिव होता है, तो सरकार के साथ आगे बैठक हो सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने लिखित में प्रस्ताव देने को कहा है, इसलिए हम उसपर अपने साथियों से बात करेंगे.
आपको बता दें कि बीते दिन भारत बंद खत्म होने के बाद करीब एक दर्जन किसान नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. बैठक में सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे, हालांकि किसानों की मांग पर कुछ संशोधन हो सकते हैं. किसानों की ओर से बार-बार कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही है.
आंदोलन के मसले पर विपक्ष भी एक्टिव
किसानों के आंदोलन के बीच विपक्ष अपनी रणनीति बनाने में जुटा है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में बुधवार को एनसीपी नेता शरद पवार और अकाली दल के सुखबीर बादल की बैठक चल रही है. इससे पहले अकाली दल नेता प्रेम चंदूमाजरा शरद पवार से मिलने उनके घर आए थे. चंदूमाजरा ने कहा है कि शरद पवार भी चाहते हैं कि मुद्दे का हाल बातचीत से निकले. अगर सरकार ने किसानों की बात नहीं मानी तो तो आगे उसी के हिसाब से रणनीति बनेगी. बता दें कि आज शाम को विपक्ष को इस मसले पर राष्ट्रपति से मिलना है.