ऑक्सीजन संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस मामले पर आज दूसरे दिन भी सुनवाई चली.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के अस्पतालों को केंद्र द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति से संबंधित मामले पर सुनवाई जारी रही. केंद्र ने विभिन्न राज्यों द्वारा ऑक्सीजन की खरीद और आपूर्ति की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली को जरूरत से ज्यादा 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की गई है. वर्तमान में दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन का पर्याप्त भंडार है.
केंद्र ने ये भी कहा कि अगर दिल्ली को इतनी सप्लाई आगे भी की जाती रही, तो दूसरे राज्यों में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है. राजस्थान, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य भी अपने अस्पताल की मांगों को पूरा करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की मांग कर रहे हैं.
दरअसल, दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई पर कल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से रिपोर्ट मांगी थी. कोर्ट ने कहा था कि सरकार आधी रात तक दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई पहुंचाने की कोशिश करे. कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से आपस मे चर्चा कर ऑक्सीजन की पूरी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस योजना भी पेश करने के लिए भी कहा थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था
दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र के अफसरों को अवमानना को नोटिस जारी किया था. पीठ ने कहा था, ‘हम हर दिन इस खौफनाक हकीकत को देख रहे हैं कि लोगों को अस्पतालों में ऑक्सीजन या आईसीयू बेड नहीं मिल रहे, कम गैस आपूर्ति के कारण बेड की संख्या घटा दी गयी है. हम केंद्र सरकार को कारण बताने को कह रहे हैं कि मई के हमारे आदेश और सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल के आदेश की तामील नहीं करने के लिए क्यों नहीं अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए. नोटिस का जवाब देने के लिए हम पीयूष गोयल और सुमित्रा डावरा (केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी) को कल उपस्थित होने का निर्देश देते हैं.‘ हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी.
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